देवल आशीष की कुछ कविताये उनकी पुण्यतिथि(04 जून) पर
देवल आशीष की कुछ कविताएं
प्रिये तुम्हारी सुधि को
प्रिये, तुम्हारी सुधि को मैंने,
यूँ भी अक्सर चूम लिया
तुम पर गीत लिखा, फिर उसका,
अक्षर- अक्षर चूम लिया
मैं क्या जानूँ मंदिर-मस्जिद,
गिरजा या गुरुद्वारा
जिनपर पहली बार दिखा था,
अल्हड़ रूप तुम्हारा
मैंने उन पावन राहों का,
पत्थर-पत्थर चूम लिया
हम तुम उतनी दूर धरा से,
नभ की जितनी दूरी
फिर भी हमने साध मिलन की,
पल में कर ली पूरी
मैंने धरती को दुलराया,
तुमने अम्बर चूम लिया
यूँ भी अक्सर चूम लिया
तुम पर गीत लिखा, फिर उसका,
अक्षर- अक्षर चूम लिया
मैं क्या जानूँ मंदिर-मस्जिद,
गिरजा या गुरुद्वारा
जिनपर पहली बार दिखा था,
अल्हड़ रूप तुम्हारा
मैंने उन पावन राहों का,
पत्थर-पत्थर चूम लिया
हम तुम उतनी दूर धरा से,
नभ की जितनी दूरी
फिर भी हमने साध मिलन की,
पल में कर ली पूरी
मैंने धरती को दुलराया,
तुमने अम्बर चूम लिया
एक बार जीवन में
एकबार जीवन में
प्यार कर लो प्रिये
लगती हो रात में प्रभात की किरन सी
किरन से कोमल कपास की छुअन सी
छुअन सी लगती हो किसी लोकगीत की
लोकगीत जिसमें बसी हो गंध प्रीत की
प्रीत को नमन एक बार
कर लो प्रिये
प्यार ठुकरा के मत भटको विकल सी
विकल ह्रदय में मचा दो हलचल सी
हलचल प्यार की मचा दो एक पल में
एक पल में ही खिल जाओगी कमल सी
प्यार के सलोने पंख बाँध लो सपन में
सपन को सजने दो चंचल नयन में
नयन झुका के अपना लो किसी नाम को
किसी नाम को बसा लो तन-मन में
मन पे किसी के अधिकार
कर लो प्रिये
प्यार है पवित्र पुंज, प्यार पुण्यधाम है
पुण्यधाम जिसमें कि राधिका है श्याम है
श्याम की मुरलिया की हर गूँज प्यार है
प्यार कर्म प्यार धर्म, प्यार प्रभुनाम है
प्यार एक प्यास, प्यार अमृत का ताल है
ताल मे नहाए हुये चंद्रमा की चाल है
चाल बनवासिन हिरनियों की प्यार है
प्यार देवमंदिर की आरती का थाल है
थाल आरती का है विचार
कर लो प्रिये
प्यार की शरण जाओगी तो तर जाओगी
जाओगी नहीं, तो आयुभर पछताओगी
पछताओगी जो किया अपमान रूप का
रूप-रंग-यौवन दोबारा नहीं पाओगी
युगों की है जानी-अनजानी पलभर की
अनजानी जग की कहानी पलभर की
बस पल भर की कहानी इस रूप की
रूप पलभर का, जवानी पलभर की
अपनी जवानी का सिंगार
कर लो प्रिये
प्यार कर लो प्रिये
लगती हो रात में प्रभात की किरन सी
किरन से कोमल कपास की छुअन सी
छुअन सी लगती हो किसी लोकगीत की
लोकगीत जिसमें बसी हो गंध प्रीत की
प्रीत को नमन एक बार
कर लो प्रिये
प्यार ठुकरा के मत भटको विकल सी
विकल ह्रदय में मचा दो हलचल सी
हलचल प्यार की मचा दो एक पल में
एक पल में ही खिल जाओगी कमल सी
प्यार के सलोने पंख बाँध लो सपन में
सपन को सजने दो चंचल नयन में
नयन झुका के अपना लो किसी नाम को
किसी नाम को बसा लो तन-मन में
मन पे किसी के अधिकार
कर लो प्रिये
प्यार है पवित्र पुंज, प्यार पुण्यधाम है
पुण्यधाम जिसमें कि राधिका है श्याम है
श्याम की मुरलिया की हर गूँज प्यार है
प्यार कर्म प्यार धर्म, प्यार प्रभुनाम है
प्यार एक प्यास, प्यार अमृत का ताल है
ताल मे नहाए हुये चंद्रमा की चाल है
चाल बनवासिन हिरनियों की प्यार है
प्यार देवमंदिर की आरती का थाल है
थाल आरती का है विचार
कर लो प्रिये
प्यार की शरण जाओगी तो तर जाओगी
जाओगी नहीं, तो आयुभर पछताओगी
पछताओगी जो किया अपमान रूप का
रूप-रंग-यौवन दोबारा नहीं पाओगी
युगों की है जानी-अनजानी पलभर की
अनजानी जग की कहानी पलभर की
बस पल भर की कहानी इस रूप की
रूप पलभर का, जवानी पलभर की
अपनी जवानी का सिंगार
कर लो प्रिये
Gaurav Dubey'Bhudew'
Email address--gauravdubeydeoria@gmail.com
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